दिल्ली के नायाब क़िस्सागोयों की महफ़िल थी ‘वे नायाब औरतें’ का लोकार्पण समारोह
पुस्तक पर विवेचना प्रस्तुत करते हुए भारती अरोड़ा ने कहा कि मृदुला जी की यह पुस्तक अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में स्त्री-जीवन के विभिन्न पहलुओं को नये नज़रिये से व्यक्त करती है।on May 15, 2023
नयी दिल्ली : 11 मई, 2023 को वरिष्ठ कथाकार मृदुला गर्ग की वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित संस्मरणात्मक पुस्तक ‘वे नायाब औरतें’ के लोकार्पण व परिचर्चा का आयोजन इंडिया इंटरनेशल सेंटर, एनेक्सी लेक्चर कक्ष-2, 40, मैक्समूलर मार्ग, लोधी एस्टेट, नयी दिल्ली में सायं 6 बजे किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक-उपन्यासकार पुरुषोत्तम अग्रवाल ने की। मुख्य वक्ता के रूप में महत्त्वपूर्ण कथाकार-पत्रकार जयन्ती रंगनाथन थीं, तो वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग में सहायक प्रोफ़ेसर भारती अरोड़ा ने पुस्तक पर विवेचना प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन किया चर्चित कथाकार व ब्लॉगर प्रभात रंजन ने।
कार्यक्रम की शुरुआत में स्वागत वक्तव्य वाणी प्रकाशन ग्रुप की मुख्य कार्यपालक अधिकारी अदिति माहेश्वरी-गोयल ने दिया। इसके बाद मृदुला जी, जयन्ती रंगनाथन और भारती अरोड़ा का अमिता माहेश्वरी ने स्वागत किया, पुरुषोत्तम जी और प्रभात जी का वाणी प्रकाशन ग्रुप के चेयरमैन व प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने अभिनन्दन किया।
पुस्तक पर विवेचना प्रस्तुत करते हुए भारती अरोड़ा ने कहा कि मृदुला जी की यह पुस्तक अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में स्त्री-जीवन के विभिन्न पहलुओं को नये नज़रिये से व्यक्त करती है। युगोस्लाविया, अमेरिका, ब्रिटेन इत्यादि की राजनीति को साहित्यिक लेन्स से समझने की कला मृदुला जी की विशेषता है।
जयन्ती रंगनाथन ने अपने उद्गार में उल्लिखित किया कि मृदुला जी की इस पुस्तक को पढ़कर स्त्री-स्वतन्त्रता के बारे में काफ़ी कुछ नया सीखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक स्त्री-विमर्श का एक अच्छा उदाहरण भी पेश करती है। पुस्तक में हिन्दी, उर्दू और अंग्रेज़ी के शब्दों का प्रयोग भाषा के स्तर पर बेहद सृजनात्मक है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि यह कोई भारी-भरकम साहित्य नहीं है, बल्कि सरल भावों में लिखी हुई कृति है। मृदुला जी के प्रथम उपन्यास ‘उसके हिस्से की धूप’ का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इनका लेखन मेरे जीवन को भी नया आयाम देता है कि नायाब औरतें लीक पर चलने वाली औरतें नहीं होतीं। उन्होंने कहा कि जो शैली मृदुला जी के लेखन में देखने को मिलती है, वह और कहीं देखने को नहीं मिलती। काश! मैं मृदुला जी के घर की पाँचवीं बेटी होती। उन्होंने कहा कि रचनाकार ने इस पुस्तक में पुरुषों को कहीं खलनायक नहीं बताया है, बल्कि इस पुस्तक में जो पुरुष हैं, वे अपनी कमियों के साथ भी नायाब हैं।
पुस्तक पर अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में पुरुषोत्तम अग्रवाल ने विचार व्यक्त किया कि ‘वे नायाब औरतें’ निहायत पर्सनल क़िस्म की किताब है। इसमें संस्मरण, आत्मकथा, डायरी का जो रूप है; इस निहायत पर्सनल का जो समाज, इतिहास और देशकाल से जो रिश्ता है, उस पर लेखिका की पैनी व संवेदनशील निगाह लगातार बनी हुई है। उन्होंगे कहा कि जब स्त्रियाँ मेल बैशिंग करती हैं तो व्यर्थ में नहीं करतीं। उन्होंने रेखांकित किया कि यह पुस्तक बेचैन करती है और समग्रता का बोध कराती है। कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रभात रंजन द्वारा किया गया।
ज्ञात हो कि कार्यक्रम-अध्यक्ष के आग्रह पर मृदुला जी ने ‘वे नायाब औरतें’ से कुछ महत्त्वपूर्ण हिस्सों का पाठ भी किया।
कार्यक्रम में अनेक साहित्यकारों और पाठकों की यादगार उपस्थिति रही। धन्यवाद ज्ञापन अरुण माहेश्वरी द्वारा सम्पन्न हुआ।
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