राष्ट्र—निर्माण में एनबीटी, इंडिया का बड़ा योगदान — पद्मश्री मीनाक्षी जैन
एनबीटी इंडिया के 68वें स्थापना दिवस पर डॉ. मीनाक्षी जैन ने बताया, 'पुस्तकें और पठन अवधारणा' पर एनबीटी का राष्ट्र निर्माण में बड़ा योगदान।on Aug 02, 2024
1 अगस्त, 2024 को राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत (एनबीटी—इंडिया) के 68वें स्थापना दिवस के अवसर पर एनबीटी मुख्यालय के सभागार में 'पुस्तकें एवं पठन अवधारणा — एक ऐतिहासिक महत्व' विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन ने न्यास के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई दी और कहा कि विज्ञान हो, महिलाओं पर हों, आदिवासी हों, कोई समाज का ऐसा क्षेत्र अथवा विषय नहीं है, जिस पर एनबीटी, इंडिया ने अग्रणी पुस्तकें न लिखी हों। राष्ट्र—निर्माण के लिए पुस्तकें हर विषय पर, समाज के हर वर्ग के लिए उपलब्ध हों, उसमें एनबीटी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। डॉ. मीनाक्षी जैन ने भारत की शिक्षा परंपरा, गुरु—शिष्य परंपरा और लिपि विकास पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में पढ़ने—लिखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है और विश्व ने भारत की सभ्यता, संस्कृति और विचारों को अपने यहाँ की शिक्षा पद्धति में शामिल करने का हमेशा से प्रयास किया है। हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे यहाँ ज्ञान का संचार एवं संरक्षण होता रहा है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास बोर्ड के सदस्य श्री राजेश पांडे ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और प्रसिद्ध लेखक अन्ना भाउ साठे के साहित्य, गीतों और अन्य लेखन के जरिये समाज में जागरूकता फैलाने के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि एनबीटी, इंडिया केवल संस्थान नहीं है, यह एक आंदोलन है जो भारत के ज्ञान, परंपरा और संस्कृति को विश्वभर में ले जाने का काम कर रहा है। यदि एनबीटी बढ़ेगा तो देश के विचार और संस्कृति हर व्यक्ति तक पहुँचेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एनबीटी, इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर मिलिंद सुधाकर मराठे ने कहा कि विचार व्यक्ति और समाज को बदलने का माध्यम है। एनबीटी, इंडिया का लक्ष्य है कि हर हाथ में किताब पहुँचे, जो काम हम पिछले 68 वर्षों से सफलतापूर्वक करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनबीटी के हर कर्मचारी का उद्देश्य पुस्तकों के माध्यम से हर व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करना होना चाहिए। नेशनल बुक ट्रस्ट के निदेशक श्री युवराज मलिक ने एनबीटी की विगत वर्ष की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज एनबीटी पूरे देश में उत्तम और प्रमाणित पुस्तकें उपलब्ध करवाने वाली मानक एवं प्रगतिशील संस्था के रूप में जानी जाती है। एनबीटी ने पुस्तकों के जरिये बहुभाषावाद को बढ़ावा दिया है और विगत वर्ष में लगभग 10 करोड़ पाठकों तक 60 से अधिक भाषाओं में पुस्तकें पहुँचाई हैं। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने कर्मियों को स्थापना दिवस उत्कृष्टता पुरस्कार देने की परंपरा की भी शुरुआत की।
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