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वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित फ़िल्म लेखिका कामना चन्द्रा का कहानी संग्रह ‘प्रेम-रोग तथा अन्य कहानियाँ’ का मुम्बई में लोकार्पण।

लोकार्पण कार्यक्रम 29 नवम्बर 2022 को ‘आउट ऑफ़ द ब्लू’ 14, यूनियन पार्क रोड नं. 4 खार (वेस्ट) मुम्बई में शाम 6 बजे किया जायेगा।
on Nov 29, 2022
वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित फ़िल्म लेखिका कामना चन्द्रा का कहानी संग्रह  ‘प्रेम-रोग तथा अन्य कहानियाँ’ का मुम्बई में लोकार्पण।

• 'प्रेम-रोग', 'चाँदनी', ‘1942 : ए लव स्टोरी', 'क़रीब' और 'क़रीब क़रीब सिंगल' जैसी फ़िल्मों कहानियों की लेखिका कामना चन्द्रा का कहानी संग्रह ‘प्रेम-रोग तथा अन्य कहानियाँ’ वाणी प्रकाशन से प्रकाशित। लोकार्पण कार्यक्रम 29 नवम्बर 2022 को ‘आउट ऑफ़ द ब्लू’ 14, यूनियन पार्क रोड नं. 4 खार (वेस्ट) मुम्बई में शाम 6 बजे किया जायेगा।

• पुस्तक लोकार्पण में कामना चन्द्रा के सम्पूर्ण परिवार सहित साहित्य और फ़िल्म जगत की दिग्गज हस्तियाँ उपस्थित होंगी।


'प्रेम-रोग', 'चाँदनी', ‘1942 : ए लव स्टोरी', 'क़रीब' और 'क़रीब क़रीब सिंगल' जैसी फ़िल्मों कहानियों की लेखिका कामना चन्द्रा का कहानी संग्रह वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित ‘प्रेम-रोग तथा अन्य कहानियाँ’ का लोकार्पण 29 नवम्बर 2022 को ‘आउट ऑफ़ द ब्लू’ 14, यूनियन पार्क रोड नं. 4 खार(वेस्ट) मुम्बई में शाम 6 बजे किया जायेगा। कार्यक्रम में वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल वाणी प्रकाशन ग्रुप व पुस्तक का परिचय देंगी। फ़िल्म समीक्षक और सुपुत्री अनुपमा चोपड़ा के साथ कामना चन्द्रा की बातचीत होगी। और कार्यक्रम का समापन व धन्यवाद विश्व प्रसिद्द लेखक व उनके सुपुत्र विक्रम चन्द्रा द्वारा किया जायेगा। कार्यक्रम का संयोजन फ़िल्म निदेशक व सुपुत्री तनुजा चन्द्रा द्वारा किया जा रहा है।

लेखक, निर्माता, निर्देशक, सम्पादक, गीतकार व अभिनेता विधु विनोद चोपड़ा ने पुस्तक की प्रशंसा में कहा है-  “कामना चन्द्रा जी ने ये कहानियाँ मेरी फ़िल्मों में लिखने से बहुत पहले लिखी थीं। जीवन को देखने का कामना जी का अपना एक विशिष्ट नज़रिया है जिसमें भावनाएँ हैं, संवेदनशीलता है, रिश्तों की अहमियत है। उनकी ये कहानियाँ जीवन के इन्हीं विविध रंगों को अभिव्यक्त करती हैं। कामना जी के लेखन की यह विशेषता है कि उनका व्यक्तित्व उनकी कहानियों से झलकता है। इस संग्रह की कहानियों में मनुष्य और मनुष्य के बीच के रिश्तों, मनुष्य और समाज के बीच के अन्तर्द्वन्द्वों को जिस गहराई और सूक्ष्मता से अभिव्यक्त किया है वह अद्भुत है। इन कहानियों की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और मानवीय सम्बन्धों जैसे जटिल विषयों पर लिखने के बावजूद इन कहानियों में दुरूहता नहीं आने दी गयी है। कहानीकार की यह विशेषता है कि वह कहानियों में पठनीयता, मनोरंजकता और नाटकीयता का निर्वाह भलीभाँति कर पाया है। यही कारण है कि उनकी ये कहानियाँ पाठकों के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं और लम्बे समय तक याद रह जाती हैं।”

वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल ने कहा- “कामना चन्द्रा जी का साहित्य की दुनिया से फ़िल्म की दुनिया को समृद्ध करना एक ऐतिहासिक घटना है। एक महिला होने के नाते पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के साथ उन्होंने जिस प्रकार से एक ख़ूबसूरत पारी खेली वह आने वाली पीढ़ी की लेखिकाओं और लेखकों के लिए विशेष मायने रखती है। कामना जी के पद-चिह्न रोड मैप है। क़लम की महारथी कामना जी को प्रकाशित कर हम गौरवान्वित हैं।

 

लेखिका के बारे में-

कामना चन्द्रा का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जहाँ शिक्षा और पुस्तकों को माँ सरस्वती का आशीर्वाद माना जाता था। उनके अध्यापक पिता और गृहिणी माँ ने अपनी तीन बेटियों और बेटे को सदैव यही सिखाया कि यदि जीवन में कुछ करना हैं, आगे बढ़ना है तो लक्ष्य प्राप्ति का  एकमात्र मार्ग है- शिक्षा, ज्ञान अर्जन के प्रति आस्था, श्रद्धा और विश्वास।


इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी, अंग्रेज़ी साहित्य में बी. ए. और फिर हिन्दी साहित्य में एम.ए. करने के पश्चात् विवाह और घर-गृहस्थी की ज़िम्मेदारी उठाने के साथ ही, अपने अनुभवों और हृदय की भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए उन्होंने क़लम उठा ली और लिखना शुरू कर दिया। 'सरिता', ‘सारिका’, ‘फेमिना’, ‘धर्मयुग' आदि पत्रिकाओं में लेख, कहानियाँ प्रकाशित हुए। इसके साथ ही ऑल इंडिया रेडियो, नयी दिल्ली के लिए वार्ता, कहानी और नाटक लिखने का सिलसिला भी चलता रहा। जब उनके पति श्री नवीन चन्द्रा का तबादला दिल्ली से मुम्बई हुआ तब जैसे उनके प्रमोशन के साथ कामना के काम को भी नयी दिशा मिल गयी। ऑल इंडिया रेडियो, मुम्बई के लिए नाटक, कहानी, वार्ता, लिखने के अलावा ‘विविध भारती' के लोकप्रिय कार्यक्रम 'हवामहल' के लिए अनेक नाटक लिखे। 'मुम्बई दूरदर्शन' के बहुत से कार्यक्रमों में भाग लेने का मौक़ा मिला। इसके साथ ही 'प्राइड एंड प्रैजूडिस ' उपन्यास पर आधारित 'तृष्णा' और 'कशिश' धारावाहिक लिखे, जिनका प्रसारण 'मुम्बई दूरदर्शन' द्वारा किया गया। इसके बाद 'कुछ इस तरह', 'औलाद', 'तमन्ना', 'वो रहने वाली महलों की' आदि धारावाहिक टी.वी. पर प्रसारित हुए। कामना को इतना प्रोत्साहन मिला कि सोचने लगी... क्या मेरी कहानी पर फ़िल्म बन सकती है? कहते हैं कभी-कभी सपने सच हो जाते हैं। राज कपूर जी को उनकी एक कहानी इतनी अच्छी लगी कि उस पर फ़िल्म बनाने का निर्णय ले लिया। 'प्रेम-रोग' की लोकप्रियता और सफलता के बाद यश चोपड़ा की 'चाँदनी' की धूम ने कामना चन्द्रा के लेखन को पंख दे दिये। विधु विनोद चोपड़ा की फ़िल्म ‘1942 : ए लव स्टोरी' और 'क़रीब' के लिए कहानी के अलावा पटकथा और संवाद भी लिखे। । अरुणा राजे की फ़िल्म 'भैरवी' की कहानी, पटकथा तथा संवाद लिखने का अवसर मिला तथा तनुजा चन्द्रा के निर्देशन में बनी फ़िल्म 'क़रीब क़रीब सिंगल' कामना के लिखे एक रेडियो प्ले पर आधारित है।
 

साहित्य और फ़िल्म जगत को और सम्पन्न बनाने में कामना चन्द्रा जी के योगदान को युवा पीढ़ी तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध वाणी प्रकाशन ग्रुप उनकी पुस्तक को लेकर काफ़ी उत्साहित है।

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