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‘ख़ानाबदोशियाँ : यारों संग तफ़रीह’ – पंकज भार्गव : प्रेस विज्ञप्ति


on Jul 22, 2022
ख़ानाबदोशियाँ : यारों संग तफ़रीह’ – पंकज भार्गव : प्रेस विज्ञप्ति

वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित न्यूज़ जगत में अपनी बहुमुखी प्रतिभा से पहचान बनाने वाले, जाने-माने न्यूज़ एंकर पंकज भार्गव की पहली किताब ‘ख़ानाबदोशियाँ : यारों संग तफ़रीह’ का लोकार्पण 22 जुलाई दोपहर 3:30 बजे रॉयल नॉर्वेजियन एम्बेसी, नयी दिल्ली में किया जायेगा। पुस्तक का लोकार्पण भारत में नॉर्वे के राजदूत एच. ई. श्री हैंस जैकब फ़्राइडनलंड करेंगे।

 

पुस्तक के बारे में

शिमला, हिमाचल प्रदेश में जन्मे पंकज भार्गव यायावरी प्रवृति के हैं। उनकी यूरोप व अन्य विदेशी यात्राओं को रोचक रूप से यात्रा वृत्तान्त शैली में 'ख़ानाबदोशियाँ : यारों संग तफ़रीह’ के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। यह उनकी पहली किताब है।

बचपन से ही अन्तरराष्ट्रीय सैलानियों को शिमला के मॉल रोड पर भ्रमण करते देख युवा अवस्था में लेखक की उत्सुकता यौवन की यायावरी की प्रेरणा बनी। नॉर्वे जैसे समृद्ध, कलात्मक, सांस्कृतिक व उत्तर-आधुनिक देश की यात्रा को बेहद सरल और क़िस्सागोई के अन्दाज़ में हिन्दी भाषा में पहली बार लिखा गया है। इससे पहले नॉर्वेजी भाषा के श्रेष्ठ साहित्यिक स्तम्भ क्नूत हाम्सुन, थूरब्योर्न एग्नर, हांस हेरब्योर्नस्रूद, हेरब्योर्ग वास्समू, थूर ओगे ब्रिंगस्वैर्द, शेल्ल आस्किल्दसन, रोय याकोब्सन, यून फ़ोस्से, ओयस्तेइन लोन्न, योहान हार्शटा, लार्स आमुन्द वोगे, सीमोन स्त्रांगेर लेखकों की कृतियों को वरिष्ठ आलोचक व कवि तेजी ग्रोवर द्वारा अनूदित किया गया है और नॉरला के सहयोग से प्रकाशित किया गया। यह सभी लेखक वाणी प्रकाशन ग्रुप की ‘विश्व अनुवाद श्रृंखला’ में प्रकाशित किये गये हैं। वाणी प्रकाशन ग्रुप के प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी के कहा कि, “लगभग 25 वर्षों से समृद्ध हो रहा नॉर्वेजी साहित्य के साथ वाणी प्रकाशन ग्रुप का सम्बन्ध पंकज भार्गव की 'ख़ानाबदोशियाँ : यारों संग तफ़रीह’ के साथ एक नये मुक़ाम पर पहुँचेगा। हिन्दी भाषा व साहित्य की ओर से नॉर्वेजी साहित्य, कला और संस्कृति को एक आदर भरा नमस्कार! आज़ादी के अमृत महोत्सव में हम इस पुस्तक का प्रकाशन कर गौरवान्वित है और इसके लिए एच. ई. श्री हैंस जैकब फ़्राइडनलंड को धन्यवाद ज्ञापित करते हैं कि उन्होंने उदारता के साथ इस पुस्तक का नॉर्वेजीयन दूतावास में स्वागत किया है। साथ ही, नोएडा लिटरेचर फेस्टिवल और शिमला लिटरेचर फेस्टिवल की युवा संस्थापक सुश्री स्वाति शर्मा को भी धन्यवाद क्योंकि उन्होंने लेखक और प्रकाशक के बीच सेतु बन्धन किया।”

 

रंगकर्मी, अभिनेता व साहित्यकार अभिनेता आशुतोष राना ने पुस्तक की प्रशंसा में कहा है कि, “सैलानी और यात्री में अन्तर होता है। सैलानी की रुचि स्थानों को देखने में होती है, किन्तु यात्री की रुचि व्यक्तियों को जानने-समझने में होती है, क्योंकि वे जानते हैं कि नगर का विकास नागरिकों का विकास नहीं होता, वे नागरिक ही होते हैं, जिनके मन, मस्तिष्क और हृदय में संस्कृति-सभ्यता के फूल ही नहीं उनका मूल भी होता है। प्रिय पंकज को जितना जानता हूँ, उससे यह कह सकता हूँ कि वह सैलानी नहीं, बल्कि एक यात्री हैं, जो शब्द ही नहीं स्पन्दन भी सुन, समझ लेते हैं। मुझे विश्वास है कि यह यात्रा-वृत्तान्त पाठकों को संसार से जोड़ने, उसे समझने में सहायक होगा। शिवसंकल्पमस्तु।”

पुस्तक के लेखक पंकज भार्गव की क़लम से “मैं अपनी इन यादों को हमेशा से शब्दों में पिरोकर किताब की शक्ल या फिर किसी और ज़रिये से सुरक्षित कर लेना चाहता था, ताकि जब भी मैं चाहूँ तब अपनी यादों की सलवटों में इसका साथ पाऊँ और उसे अपने ज़हन में ताज़ा कर सकूँ। साथ ही यह भी ख़्वाहिश थी कि मेरी यादें किसी दूसरे के लिए कुछ अनुभव के तौर पर मददगार भी साबित हों। यही वजह है कि मैं अपने सपनों की दुनिया तक पहुँचने के सफ़र और वहाँ गुज़ारे हर पल को दूसरों को बताने को बेताब भी रहा। लेकिन कोरोना ने दुनिया के बाक़ी लोगों की तरह मुझे भी झकझोरा।

 

लेखक के बारे में

पंकज भार्गव ढाई दशक से मीडिया जगत के प्रसिद्ध नाम व चेहरा हैं । आकाशवाणी पर अपनी आवाज़ से श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध करने के बाद साल 1997 में पंकज ने अपने करियर को टी. वी. एंकर के रूप में एक नयी दिशा दी। पंकज ने बहुचर्चित टेलीविज़न कार्यक्रम ( सुबह सवेरे ) के द्वारा बतौर एंकर लोगों के बीच जो जगह बनायी, उनकी उसी प्रतिभा ने उन्हें IBN7 के प्राइम टाइम एंकर के रूप में भी ज़बरदस्त लोकप्रियता दिलायी। आज पंकज देश के प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल India T.V. के सफल न्यूज़ एंकर हैं। पंकज ने मूलरूप से राष्ट्रीय विषयों जैसे राजनीति, मनोरंजन, खेल और सांस्कृतिक विविधता को अत्यन्त सहजता के साथ कवर किया है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों को कवर करने के अलावा, नेपाल भूकम्प, उत्तराखण्ड प्राकृतिक त्रासदी, विश्वप्रसिद्ध कुम्भ मेला, मुम्बई में आतंकी हमला, अन्ना हज़ारे आन्दोलन और बिहार में बाढ़ त्रासदी ये कुछ ऐसे महत्त्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिन्होंने पंकज को एक जुझारू एंकर के रूप में हम सब के दिलों में हमेशा के लिए बसा दिया है।

 

वाणी प्रकाशन ग्रुप के बारे में

वाणी प्रकाशन ग्रुप पिछले 59 वर्षों से साहित्य की 32 से भी अधिक नवीनतम विधाओं में, बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। वाणी प्रकाशन ग्रुप ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। तथा देश के 3,00,000 से भी अधिक गाँव, 2,800 क़स्बे, 54 मुख्य नगर और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। अब वाणी प्रकाशन ग्रुप वाणी डिजिटल, वाणी बिज़नेस, वाणी बुक कम्पनी, वाणी पृथ्वी, नाइन बुक्स, वाणी प्रतियोगिता, युवा वाणी और गैर-लाभकारी संस्था वाणी फ़ाउण्डेशन के साथ प्रकाशन उद्योग में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।

वाणी प्रकाशन ग्रुप भारत के प्रमुख पुस्तकालयों, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य पूर्व, से भी जुड़ा हुआ है। वाणी प्रकाशन ग्रुप की सूची में, साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत 25 पुस्तकें और लेखक, हिन्दी में अनूदित 9 नोबेल पुरस्कार विजेता और 24 अन्य प्रमुख पुरस्कृत लेखक और पुस्तकें शामिल हैं। वाणी प्रकाशन ग्रुप को क्रमानुसार नेशनल लाइब्रेरी, स्वीडन, रशियन सेंटर ऑफ़ आर्ट एण्ड कल्चर तथा पोलिश सरकार द्वारा इंडो-पोलिश लिटरेरी के साथ सांस्कृतिक सम्बन्ध विकसित करने का गौरव प्राप्त है। वाणी प्रकाशन ग्रुप ने 2008 में ‘Federation of Indian Publishers Associations’ द्वारा प्रतिष्ठित ‘Distinguished Publisher Award’ भी प्राप्त किया है। सन् 2013 से 2017 तक केन्द्रीय साहित्य अकादेमी के 68 वर्षों के इतिहास में पहली बार श्री अरुण माहेश्वरी केन्द्रीय परिषद् की जनरल काउंसिल में देशभर के प्रकाशकों के प्रतिनिधि के रूप में चयनित किये गये।

लन्दन में भारतीय उच्चायुक्त द्वारा 25 मार्च 2017 को ‘वातायन सम्मान’ तथा 28 मार्च 2017 को वाणी प्रकाशन ग्रुप के प्रबन्ध निदेशक व वाणी फ़ाउण्डेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को ऑक्सफोर्ड बिज़नेस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में ‘एक्सीलेंस इन बिज़नेस’ सम्मान से नवाज़ा गया। प्रकाशन की दुनिया में पहली बार हिन्दी प्रकाशन को इन दो पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हिन्दी प्रकाशन के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है।

3 मई 2017 को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘64वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह’ में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा ‘स्वर्ण-कमल-2016’ पुरस्कार प्रकाशक वाणी प्रकाशन ग्रुप को प्रदान किया गया। भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ग्रुप ने राजधानी के प्रमुख पुस्तक केन्द्र ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर के साथ सहयोग कर ‘लेखक से मिलिये’ के अन्तर्गत कई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम-शृंखला का आयोजन किया और वर्ष 2014 से ‘हिन्दी महोत्सव’ का आयोजन सम्पन्न करता आ रहा है।

वर्ष 2017 में वाणी फ़ाउण्डेशन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित इन्द्रप्रस्थ कॉलेज के साथ मिलकर हिन्दी महोत्सव का आयोजन किया व वर्ष 2018 में वाणी फ़ाउण्डेशन, यू.के. हिन्दी समिति, वातायन और कृति यू. के. के सान्निध्य में हिन्दी महोत्सव ऑक्सफोर्ड, लन्दन और बर्मिंघम में आयोजित किया गया ।

‘किताबों की दुनिया’ में बदलती हुई पाठक वर्ग की भूमिका और दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ग्रुप ने अपनी 51वीं वर्षगाँठ पर गैर-लाभकारी उपक्रम वाणी फ़ाउण्डेशन की स्थापना की। फ़ाउण्डेशन की स्थापना के मूल प्रेरणास्त्रोत सुहृदय साहित्यानुरागी और अध्यापक स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र ‘महेश’ हैं। स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र ‘महेश’ ने वर्ष 1960 में वाणी प्रकाशन ग्रुप की स्थापना की। वाणी फ़ाउण्डेशन का लोगो विख्यात चित्रकार सैयद हैदर रज़ा द्वारा बनाया गया है। मशहूर शायर और फ़िल्मकार गुलज़ार वाणी फ़ाउण्डेशन के प्रेरणास्त्रोत हैं।

वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय और विदेशी भाषा साहित्य के बीच व्यावहारिक आदान-प्रदान के लिए एक अभिनव मंच के रूप में सेवा करता है। साथ ही वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय कला, साहित्य तथा बाल-साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय शोधवृत्तियाँ प्रदान करता है। वाणी फ़ाउण्डेशन का एक प्रमुख दायित्व है दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी बड़ी भाषा हिन्दी को यूनेस्को भाषा सूची में शामिल कराने के लिए विश्वस्तरीय प्रयास करना।

वाणी फ़ाउण्डेशन की ओर से विशिष्ट अनुवादक पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार भारतवर्ष के उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरन्तर और कम-से-कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बन्ध विकसित करने की दिशा में गुणात्मक योगदान दिया है। इस पुरस्कार की आवश्यकता इसलिए विशेष रूप से महसूस की जा रही थी क्योंकि वर्तमान स्थिति में दो भाषाओं के मध्य आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले की स्थिति बहुत हाशिए पर है। इसका उद्देश्य एक ओर अनुवादकों को भारत के इतिहास के मध्य भाषिक और साहित्यिक सम्बन्धों के आदान-प्रदान की पहचान के लिए प्रेरित करना है, दूसरी ओर, भारत की सशक्त परम्परा को वर्तमान और भविष्य के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित करना है।

वाणी फ़ाउण्डेशन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है भारतीय भाषाओं से हिन्दी व अंग्रेजी में श्रेष्ठ अनुवाद का कार्यक्रम। इसके साथ ही इस न्यास के द्वारा प्रतिवर्ष डिस्टिंगविश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड भी प्रदान किया जाता है जिसमें मानद पत्र और एक लाख रुपये की राशि अर्पित की जाती हैं। वर्ष 2018 के लिए यह सम्मान प्रतिष्ठित अनुवादक, लेखक, पर्यावरण संरक्षक तेजी ग्रोवर को दिया गया था।

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