• Monday, September 08, 2025

पुस्तक “सौर मंडल की सैर” की लेखिकाएँ सरिता सराफ और अलंकृता अमाया, के साथ साक्षात्कार

“सौर मंडल की सैर” की लेखिकाओं सरिता सराफ व अलंकृता अमाया बच्चों में जिज्ञासा, भाषा व सीखने का जुनून जगाने की अपनी सोच साझा करती हैं।
on Sep 10, 2025
Interview with Sarita Saraf & Alankrita Amaya, Author of “Saur Mandal ki Ser”

फ्रंटलिस्ट: आपकी किताब सौर मंडल की सैर में बच्चों को ग्रहों की सैर पर ले जाया गया है। आपको हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में शब्दावली सिखाने का विचार कैसे आया? 

अलंकृता: मैं हिंदी - भाषी परिवार में पैदा हुई और मैंने मेरी पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से की। दोनों भाषाएँ हमेशा मेरी ज़िंदगी का हिस्सा रही हैं।मैं दो भाषाओं में सोचती हूँ और चाहूँगी की बच्चे भी कहानियाँ एक से ज़्यादा भाषाओं में सुना सकें।  

फ्रंटलिस्ट: चित्रकथा और कहानी के संयोजन से बच्चों की सीखने की प्रक्रिया पर आपका क्या दृष्टिकोण है? 

सरिता: चित्रकथा,कहानी बताने का एक बहुत ही रोचक माध्यम है। बहुत कुछ चित्र कह देते हैं जिसे कहानी में डालने की आवश्यकता नहीं होती। यह एक प्रकार की जुगलबंदी है।

फ्रंटलिस्ट: चम्पू का किरदार जीवंत और साहसी है। आपने इसे बनाते समय कौन-सी खास बातें ध्यान में रखीं ताकि बच्चे उससे जुड़ सकें और सीख सकें? 

अलंकृता: हर बच्चे की पहली फितरत जिज्ञासा होती है। वो खोजबीन करना चाहता है, सवाल पूछना चाहता है। चम्पू भी इसी उत्साह में सौरमंडल की सैर करना चाहती है। मेरी यही कोशिश रहती है की कहानी मनोरंजक और मज़ेदार धागों से पिरोई हो ताकि सीख भी खेल लगे।

फ्रंटलिस्ट: आपने अब तक 20 से अधिक किताबें लिखी हैं। बच्चों की कहानियों में भाषा की भूमिका और महत्व पर आपका क्या मानना है? 

सरिता: भाषा सुंदर और सरल होनी चाहिए। किसी भी कहानी में दो चीजें आवश्यक हैं- उसका रूप और उसका तत्त्व। दोनों पर गौर करना चाहिये।

फ्रंटलिस्ट: भविष्य में आप और किस तरह की विषयवस्तु और भाषा आधारित किताबें बच्चों के लिए लिखना चाहेंगी?

अलंकृता: मैं हमेशा एक ही मकसद से लिखती हूँ, चाहे वह कहानी जिस भी विषय या भाषा में लिखी हुई हो -  मगर जब बच्चे मेरी कहानी पढ़कर बड़े हों, तब भी उनमें एक बचपना बरक़रार रहे।   

फ्रंटलिस्ट: हिंदी दिवस के अवसर पर आप क्या संदेश देना चाहेंगी कि बच्चों को हिंदी से प्यार कैसे हो और वे इसे खेल-खेल में सीखें? 

सरिता: बच्चों से अधिक हमारा संदेश सभी हिन्दी भाषी माता पिताओं के लिये है कि वे अपने बच्चों से अधिकाधिक हिंदी में बात करें और उन्हें हिन्दी पुस्तकों से परिचित करवाएँ। अपनी भाषा, अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता पर गर्व होना प्रत्येक बालक, प्रत्येक नागरिक के लिए, उसके स्वाभिमान के लिए, आवश्यक है।

फ्रंटलिस्ट: बच्चों के लिए भाषा सीखना केवल शब्द याद करना नहीं है, बल्कि सोचने और महसूस करने का माध्यम भी है। आपकी किताब में यह कैसे परिलक्षित होता है? 

अलंकृता: सौर मंडल की सैर में भाषा अकेले नहीं आती। बच्चा ग्रहों से मिलता है, चम्पू के साथ सफर करता है, और हैरानी महसूस करता है। इस दौरान वो जिज्ञासा और उत्साह के साथ शब्द भी सीखता है । इस तरह भाषा सिर्फ़ शब्दों से नहीं बनी होती है, बल्कि भावनाओं और कल्पना का हिस्सा बन जाती है। 

फ्रंटलिस्ट: आप अपने अनुभवों और किताबों के माध्यम से छोटे पाठकों में रचनात्मकता और सीखने का जुनून कैसे जगाना चाहती हैं? 

सरिता: इसका दायित्व पुस्तक बनाने वालों, माता पिताओं व शिक्षकों पर है। यदि हम बच्चों को शिक्षा देना चाहते हैं तो हमें उसे रोचक बनाना ही होगा और यह हमारी कुशलता पर निर्भर करता है कि हम उसे रोचक कैसे बनाएँ। कहानियों के माध्यम से, चित्रों के माध्यम से, कविताओं के माध्यम से उन्हें बहुत कुछ सिखाया जा सकता है, जिसे वे उत्साहपूर्ण ग्रहण करना चाहेंगे।

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