पुस्तक "साया" की लेखिका "शैलजा चौहान" के साथ साक्षात्कार
Saya में रहस्य, डर और रोमांच का अद्भुत संगम है, जहाँ रिश्तों की मासूमियत अचानक भयावह सचाई से टकराती है।on Sep 12, 2025

फ्रंटलिस्ट: किताब Saya में रहस्य और रोमांच का मिश्रण बहुत प्रभावशाली है। आपके अनुसार, हिंदी भाषा में हॉरर और रोमांचक कहानी लिखना कितनी चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया रही?
शैलजा: हॉरर लिखना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि यह केवल डर पैदा करने का विषय नहीं है, बल्कि एक ऐसा माहौल बनाने का प्रयास है जहाँ पाठक खुद को कहानी का हिस्सा महसूस करे। हिंदी में हॉरर लिखते समय यह ध्यान रखना पड़ता है कि भाषा सरल भी हो और साथ ही इतनी प्रभावशाली भी कि पाठक को अंधेरे, सन्नाटे और भय का अनुभव करा सके। यही Saya की सबसे बड़ी चुनौती और खासियत रही।
फ्रंटलिस्ट: मुख्य पात्रों के मनोभाव और उनके बीच के संबंधों को आपने किस तरह प्रस्तुत किया कि कहानी में गहराई और हॉरर दोनों एक साथ बने रहें?
शैलजा: Saya में पात्रों की भावनाएँ केवल प्यार और मोहब्बत तक सीमित नहीं हैं। इसमें धोखा, डर और अदृश्य शक्तियों से जूझते इंसानों का मनोविज्ञान भी शामिल है। उनके रिश्ते कभी मासूम लगते हैं, तो कभी भयानक सच्चाइयों से टकराते हैं। संवादों और परिस्थितियों के ज़रिये मैंने यह संतुलन बनाए रखा।
फ्रंटलिस्ट: आपके दृष्टि में हिंदी भाषा में सरलता और गहराई के बीच संतुलन बनाए रखना क्यों महत्वपूर्ण है, और आपने इसे Saya में कैसे साधा?
शैलजा: हॉरर कहानी में भाषा बहुत मायने रखती है। बहुत कठिन शब्द डर का असर कम कर देते हैं और बहुत हल्की भाषा उसका रोमांच घटा देती है। Saya में मैंने हिंदी को इतना सरल रखा कि हर पाठक समझ सके, लेकिन साथ ही विवरण, प्रतीक और माहौल ऐसा गढ़ा कि डर और रहस्य की गहराई बनी रहे।
फ्रंटलिस्ट: कहानी में अप्रत्याशित घटनाओं और रहस्य को पाठकों तक पहुँचाने के लिए आपने कौन-सी तकनीकें अपनाईं और कौन-सी घटना आपके अनुसार सबसे प्रभावशाली रही?
शैलजा: मैंने suspense building और foreshadowing का प्रयोग किया। पाठक को संकेत मिलते हैं, लेकिन सच्चाई अचानक सामने आती है। Saya में सबसे प्रभावशाली वे घटनाएँ हैं जहाँ साधारण-सा प्यार या रिश्ता अचानक आत्मा, ब्लैक मैजिक या अंधविश्वास से जुड़ जाता है। यहीं से कहानी का डर असल रूप लेता है।
फ्रंटलिस्ट: Akshay और Radhika की कहानी में घटनाओं का अप्रत्याशित मोड़ कहानी को कितना अलग और यादगार बनाता है?
शैलजा: Akshay और Radhika का रिश्ता एक साधारण गलत नंबर कॉल से शुरू होता है। शुरुआत में यह मासूम-सा आकर्षण लगता है, लेकिन धीरे-धीरे इसमें रहस्य और डर का रंग भरता है। अंत में जब यह सामने आता है कि Radhika वास्तव में एक आत्मा है, तो यह मोड़ पाठकों को झकझोर देता है। यह कहानी इस बात का प्रतीक है कि कभी-कभी हम उन चीज़ों से जुड़ जाते हैं जो वास्तव में मौजूद ही नहीं होतीं।
फ्रंटलिस्ट: हिंदी दिवस के अवसर पर आप क्या संदेश देना चाहेंगी कि हॉरर कहानियाँ युवा पाठकों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं?
शैलजा: हॉरर सिर्फ डर नहीं सिखाता, यह जीवन के गहरे सच भी दिखाता है। इसमें प्यार, धोखा, विश्वास और अंधविश्वास सब झलकते हैं। युवा अगर हिंदी की हॉरर कहानियाँ पढ़ेंगे तो उन्हें न सिर्फ मनोरंजन मिलेगा, बल्कि यह समझ भी मिलेगी कि इंसान का डर, उसका विश्वास और उसकी परछाई कैसे उसके जीवन को बदल सकते हैं।
फ्रंटलिस्ट: यदि कोई लेखक इस प्रकार की हॉरर कहानी लिखना चाहे तो उन्हें हिंदी भाषा के किन पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए?
शैलजा: लेखक को भाषा को चित्रात्मक बनाना होगा। शब्दों के जरिए ऐसा दृश्य खड़ा करना होगा कि पाठक के सामने अंधेरा, खामोशी और परछाइयाँ जीवंत हो उठें। साथ ही, संवाद और भावनाओं में सच्चाई होनी चाहिए ताकि पाठक केवल पढ़े नहीं, बल्कि महसूस भी करे।
फ्रंटलिस्ट: अगर Saya को एक रूपक (metaphor) के रूप में देखा जाए, तो यह क्या दर्शाता है?
शैलजा: Saya केवल एक रूपक नहीं, बल्कि डर और सच्चाई का संगम है। यह उन कहानियों का प्रतीक है जो असली घटनाओं से जुड़ी हैं, प्यार और धोखे की दास्तानें, ब्लैक मैजिक की परछाइयाँ और आत्माओं का अनुभव। Saya यह बताती है कि इंसान की जिंदगी में ऐसे राज़ और परछाइयाँ हमेशा मौजूद रहती हैं जिन्हें वह छुपाता है, लेकिन जो कभी न कभी सामने आ ही जाती हैं
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