• Wednesday, September 10, 2025

पुस्तक "बोरा" के लेखक नवीन सिंह नेगी के साथ साक्षात्कार

नवीन की पुस्तक बोरा (विश्व रक्षक-१) देवताओं व दैत्यों के संघर्ष को आधुनिक कल्पना संग जोड़कर युवाओं को साहस और प्रेरणा देती है।
on Sep 18, 2025
पुस्तक "बोरा" के लेखक नवीन सिंह नेगी  के साथ साक्षात्कार

फ्रंटलिस्ट: आपकी कहानी “बोरा” में देवताओं और दैत्यों के संघर्ष को दर्शाया गया है। आपके अनुसार यह कहानी युवा पाठकों को हिंदी साहित्य में कितना प्रेरित कर सकती है?

नवीन: "बोरा (विश्व रक्षक- १): दैत्यों का साम्राज्य" में राक्षसों और देवताओं के संघर्ष को एक भव्य पृष्ठभूमि में प्रस्तुत किया गया है, जो पाठकों को पौराणिक कथाओं और आधुनिक कल्पना का मिश्रण देता है। यह कहानी केवल एक रोमांचक संघर्ष नहीं है, बल्कि इसमें नायक बोरा की यात्रा को भी दर्शाया गया है, जिसमें वह अपने डर, विश्वासों और चुनौतियों का सामना करता है और अंततः एक विश्व रक्षक के रूप में उभरता है।

यह कहानी युवाओं और पाठकों को हिंदी साहित्य में प्रेरित करने में कई तरीकों से सफल हो सकती है:

1. पौराणिक और आधुनिक का मेल: कहानी प्राचीन पौराणिक कथाओं को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ जोड़ती है, जिससे युवा पाठकों को अपनी संस्कृति और इतिहास से जुड़ने का अवसर मिलता है।
2. नायक की प्रेरणादायक यात्रा: बोरा का चरित्र पाठकों को सिखाता है कि कठिनाइयों और बाधाओं के बावजूद आत्मविश्वास और दृढ़ता से सफलता प्राप्त की जा सकती है।
3. साहित्य और कल्पना का संगम: यह कहानी हिंदी साहित्य में एक नई शैली को प्रस्तुत करती है, जो फैंटेसी और पौराणिकता का अद्भुत मिश्रण है। इससे हिंदी साहित्य के प्रति रुचि बढ़ सकती है।
4. संदेश और नैतिकता: देवताओं और राक्षसों के संघर्ष के माध्यम से यह कहानी अच्छाई और बुराई के बीच के शाश्वत संघर्ष को दर्शाती है, जो सभी उम्र के पाठकों के लिए प्रासंगिक संदेश देती है।

यह कहानी न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि पाठकों को प्रेरित भी करती है कि वे अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का डटकर सामना करें और अपनी पहचान बनाएं।

फ्रंटलिस्ट: बोरा की यात्रा में परीक्षा, चुनौती और भय का सामना करने का उल्लेख है। क्या आप बता सकते हैं कि इन तत्वों को कहानी में शामिल करने का आपका व्यक्तिगत दृष्टिकोण क्या था?

नवीन: "‘बोरा - विश्व रक्षक पार्ट I’ में परीक्षाओं, चुनौतियों और भय को शामिल करना मेरे लिए कहानी को मानवीय और वास्तविक बनाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। हर नायक की यात्रा कठिनाइयों से गुजरती है, और यही संघर्ष उसे मजबूत बनाता है। मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण यह था कि पाठकों को यह समझाया जाए कि जीवन में कठिनाइयाँ केवल बाधाएँ नहीं होतीं, बल्कि वे हमें विकसित होने का अवसर देती हैं।

परीक्षाओं को कहानी में शामिल करना यह दिखाने के लिए था कि नायक बोरा केवल बाहरी संघर्षों का सामना नहीं कर रहा है, बल्कि वह अपने भीतर के डर, संदेह और कमजोरियों से भी जूझ रहा है। चुनौतियाँ उसे यह सिखाती हैं कि सच्ची ताकत केवल शारीरिक नहीं होती, बल्कि मानसिक और भावनात्मक दृढ़ता भी जरूरी है।

भय का सामना करना कहानी का एक केंद्रीय तत्व था। मैंने इसे इसलिए जोड़ा ताकि पाठक यह समझ सकें कि डर से भागने के बजाय उसका सामना करना ही एक सच्चे रक्षक या नायक की पहचान है। यह तत्व न केवल कहानी को रोमांचक बनाता है, बल्कि पाठकों को प्रेरित भी करता है कि वे अपने जीवन में आने वाले भय और कठिनाइयों का सामना करें।

इस दृष्टिकोण के माध्यम से मैंने कोशिश की है कि पाठक बोरा के साथ जुड़ सकें और उसकी यात्रा में खुद को देख सकें। यह कहानी केवल एक फैंटेसी नहीं है; यह जीवन के वास्तविक संघर्षों का प्रतीक है।"

फ्रंटलिस्ट: बोरा के चरित्र में साहस, बलिदान और नैतिकता जैसे मूल्य स्पष्ट हैं। आपने इन्हें हिंदी भाषा में व्यक्त करने में कौन-सी रचनात्मक चुनौतियाँ महसूस कीं?नवीन: "‘बोरा - विश्व रक्षक पार्ट I’ लिखते समय साहस, बलिदान और नैतिकता जैसे मूल्यों को व्यक्त करना मेरे लिए एक बेहद जिम्मेदारी भरा काम था। हिंदी भाषा में इन भावनाओं को प्रभावशाली और संतुलित तरीके से व्यक्त करना एक रचनात्मक चुनौती थी।

1. नकारात्मक किरदारों की गहराई: मेरी प्राथमिक चुनौती यह थी कि मैं किसी भी पात्र को पूरी तरह से बुरा नहीं दिखाना चाहता था। इसलिए, मुझे नकारात्मक किरदारों की बैकस्टोरी इस तरह बनानी पड़ी कि पाठक उनके कार्यों और फैसलों को उनकी परिस्थितियों और अनुभवों के आधार पर समझ सकें। इससे कहानी में एक गहराई आई और यह दिखा सका कि हर व्यक्ति के कार्य उसके जीवन की कहानी से प्रभावित होते हैं। यह पाठकों को सहानुभूति और समझ विकसित करने का अवसर देता है।
2. सही और गलत में अंतर करना: इस कहानी के माध्यम से मैं पाठकों को यह भी सिखाना चाहता था कि वे कैसे सही और गलत के बीच अंतर कर सकते हैं। मैंने यह संदेश देने की कोशिश की कि जीवन में आप हमेशा "सही निर्णय" नहीं ले सकते। आप केवल एक निर्णय ले सकते हैं और उसे सही बना सकते हैं। यह विचार कहानी के नायक बोरा की यात्रा में भी दिखाया गया है, जहां वह अपने फैसलों को साहस और नैतिकता के साथ सही साबित करता है।

इन दोनों पहलुओं को हिंदी भाषा में व्यक्त करना चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि मैं यह सुनिश्चित करना चाहता था कि भाषा सरल, लेकिन प्रभावशाली हो। मेरा उद्देश्य था कि कहानी का हर पाठक, चाहे वह किसी भी उम्र का हो, इन मूल्यों को समझ सके और उनसे प्रेरणा ले सके।"

फ्रंटलिस्ट: हिंदी दिवस के अवसर पर आप क्या संदेश देना चाहेंगे कि इस तरह की कहानियों के माध्यम से बच्चों में हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति प्रेम और संवेदनशीलता कैसे बढ़ सकती है?

नवीन: "हिंदी दिवस के अवसर पर मेरा यह मानना है कि इस तरह की कहानियां बच्चों में हिंदीभाषा और साहित्य के प्रति प्रेम और संवेदनशीलता बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम बन सकती हैं।

1. भाषा को आकर्षक बनाना: ऐसी कहानियां, जो रोमांच और कल्पना से भरपूर हों, बच्चों को हिंदी भाषा की ओर खींचती हैं। जब भाषा को मनोरंजन और रोमांच के साथ जोड़ा जाता है, तो बच्चे उसे केवल एक विषय के रूप में नहीं, बल्कि अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने के माध्यम के रूप में देखने लगते हैं।
2. संस्कृति और मूल्यों से जुड़ाव: इन कहानियों के जरिए बच्चे हमारी पौराणिक कथाओं, लोककथाओं और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ते हैं। जब वे इन कहानियों में साहस, बलिदान और नैतिकता जैसे मूल्यों को देखते हैं, तो वे न केवल अपनी भाषा, बल्कि अपनी संस्कृति और परंपराओं के प्रति गर्व महसूस करते हैं।
3. सृजनशीलता और कल्पना का विकास: हिंदी साहित्य में बच्चों को आकर्षित करने के लिए कहानियों में कल्पना और सृजनशीलता का समावेश होना जरूरी है। जब बच्चे इस तरह की कहानियां पढ़ते हैं, तो उनकी अपनी कल्पनाशक्ति को भी प्रोत्साहन मिलता है।
4. सरल और प्रभावी भाषा: कहानियां हिंदी भाषा को बच्चों के लिए आसान और दिलचस्प बना सकती हैं। जब भाषा सरल, लेकिन प्रभावशाली होती है, तो बच्चे उसे आसानी से समझते हैं और उसे अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं।5. प्रेरणा और नैतिक शिक्षा: ऐसी कहानियां बच्चों को यह सिखाती हैं कि जीवन में कैसे साहस, धैर्य और नैतिकता के साथ चुनौतियों का सामना करना चाहिए। इससे न केवल उनका व्यक्तित्व निखरता है, बल्कि वे हिंदी साहित्य को एक मार्गदर्शक के रूप में देखना शुरू करते हैं।

इसलिए, मेरा संदेश यह है कि हमें हिंदी में ऐसी कहानियां लिखते रहना चाहिए, जो बच्चों को न केवल मनोरंजन दें, बल्कि उन्हें अपनी भाषा और साहित्य से जोड़कर गर्व और प्रेरणा का अनुभवकराएं। हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, यह हमारी पहचान है, और ऐसी कहानियां इसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का सबसे सुंदर माध्यम हैं।"

फ्रंटलिस्ट: देवताओं, धर्म और संस्कृति में आपकी रुचि इस पुस्तक में किस रूप में उभरती है? क्या आप इसे शैक्षिक और प्रेरक दोनों दृष्टि से देखना चाहते हैं?

नवीन: "इस पुस्तक में देवताओं, धर्म और संस्कृति के प्रति मेरी रुचि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मैंने इन तत्वों को कहानी में इस तरीके से प्रस्तुत किया है कि वे न केवल पाठकों को शिक्षित करें, बल्कि उन्हें प्रेरित भी करें।

1. शैक्षिक दृष्टिकोण : मैंने कोशिश की है कि देवताओं और धर्म से जुड़े पहलुओं को इस तरह प्रस्तुत करूं कि पाठक हमारी पौराणिक कथाओं और सांस्कृतिक जड़ों को बेहतर तरीके से समझ सकें। कहानी में देवताओं और राक्षसों के संघर्ष के माध्यम से मैंने धर्म और नैतिकता के गहरे अर्थों को उजागर करने की कोशिश की है। यह पाठकों को यह सिखाने का अवसर देता है कि हमारी परंपराएं और मान्यताएं केवल अतीत का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि वे आज भी हमारे जीवन को मार्गदर्शन देती हैं।
2. प्रेरक दृष्टिकोण : मैंने यह सुनिश्चित किया है कि कहानी केवल ज्ञान देने तक सीमित न रहे, बल्कि पाठकों को प्रेरित भी करे। देवताओं और धर्म से जुड़े तत्वों को मैंने साहस, बलिदान और नैतिकता के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया है। इससे पाठक यह सीख सकते हैं कि जीवन में सही रास्ता चुनने के लिए किस तरह से दृढ़ता और विश्वास की आवश्यकता होती है।

कहानी में धर्म और संस्कृति को मैंने एक जीवंत तत्व के रूप में प्रस्तुत किया है, जो नायक की यात्रा को न केवल आकार देता है, बल्कि पाठकों को भी अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व महसूस करने का अवसर देता है। यह पुस्तक केवल एक फैंटेसी नहीं है; यह हमारी परंपराओं और मूल्यों को आधुनिक संदर्भ में देखने और समझने का माध्यम है।मेरी कोशिश रही है कि इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों को यह सिखाऊं कि धर्म और संस्कृति केवल आस्था का विषय नहीं हैं, बल्कि वे जीवन जीने की कला और सही मार्गदर्शन पाने का साधन हैं।"

फ्रंटलिस्ट: भविष्य में हिंदी साहित्य में इस प्रकार की महाकाव्यात्मक और साहसिक कहानियाँ प्रस्तुत करने की आपकी योजना क्या है, और आप चाहते हैं कि इसका प्रभाव हिंदी दिवस जैसे अवसरों पर कैसे दिखे?

नवीन: "भविष्य में, मेरी योजना है कि हिंदी साहित्य में इस प्रकार की महाकाव्यात्मक और साहसिक कहानियों को और अधिक समृद्ध और विविध रूप में प्रस्तुत किया जाए। मेरा उद्देश्य है कि ऐसी कहानियां पाठकों को न केवल मनोरंजन प्रदान करें, बल्कि उन्हें सोचने, प्रेरित होने और अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर भी दें।

1. महाकाव्यात्मक कहानियों की योजना: मैं हिंदी साहित्य में और भी गहन और विस्तृत कथानक वाली कहानियों को लाने की योजना बना रहा हूं, जो न केवल पौराणिकता और कल्पना का मिश्रण हों, बल्कि आधुनिक संदर्भों से भी जुड़ी हों। इन कहानियों में साहस, बलिदान, नैतिकता और मानवीय भावनाओं के गहरे स्तरों को छूने का प्रयास रहेगा।2. विविधता का समावेश: मेरी कोशिश होगी कि कहानियों में भारत के अलग-अलग राज्यों और जनजातियों का भी उल्लेख हो। इन कहानियों के माध्यम से उनकी अनूठी सांस्कृतिक धरोहर, परंपराएं, और उनके देश के प्रति भावनाओं को प्रस्तुत किया जाए। इससे पाठकों को यह समझने का अवसर मिलेगा कि भारत की विविधता में एकता कैसे निहित है। ऐसी कहानियां न केवल सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाएंगी, बल्कि देशभक्ति और सहानुभूति के भाव को भी मजबूत करेंगी।
3. नए और विविध विषय: मेरी कोशिश होगी कि हिंदी साहित्य में केवल पौराणिक कथाओं तक सीमित न रहकर, विज्ञान-कथा, ऐतिहासिक फैंटेसीऔर सामाजिक मुद्दों को भी महाकाव्यात्मक स्वरूप में प्रस्तुत किया जाए। इससे नई पीढ़ी को हिंदी साहित्य के प्रति और अधिक आकर्षित किया जा सकेगा।
4. हिंदी दिवस जैसे अवसरों पर प्रभाव: मैं चाहता हूं कि ऐसी कहानियां हिंदी दिवस जैसे अवसरों पर केवल साहित्यिक चर्चा तक सीमित न रहें, बल्कि वे एक आंदोलन का हिस्सा बनें। इन कहानियों के माध्यम से पाठकों को यह महसूस हो कि हिंदी भाषा में न केवल गहराई है, बल्कि इसमें आधुनिकता और कल्पनाशक्ति को भी समाहित करने की अद्भुत क्षमता है।
5. प्रेरणा और जागरूकता: मेरी योजना है कि इन कहानियों के जरिए हिंदी दिवस जैसे अवसरों पर यह संदेश दिया जाए कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान और सोचने का माध्यम है। मैं चाहता हूं कि लोग हिंदी को एक आधुनिक, सशक्त और वैश्विक भाषा के रूप में देखें।

इस प्रकार, मेरी कोशिश है कि हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी जाए, जिसमें परंपरा और आधुनिकता का संतुलन हो। मैं चाहता हूं कि मेरी कहानियां पाठकों को इस बात का अहसास कराएं कि हिंदी में लिखी गई रचनाएं न केवल रोचक हैं, बल्कि वे जीवन को गहराई से समझने और प्रेरित करने का माध्यम भी हैं।"

फ्रंटलिस्ट: पुस्तक में युवा पाठकों के लिए प्रेरणा और साहस के संदेश को प्रभावी बनाने के लिए आपने कहानी के निर्माण में कौन-सी रणनीति अपनाई?

नवीन: "पुस्तक में युवा पाठकों के लिए प्रेरणा और साहस का संदेश प्रभावी बनाने के लिए मैंने कहानी के निर्माण में कुछ विशेष रणनीतियां अपनाईं, ताकि यह न केवल मनोरंजक हो, बल्कि पाठकों के दिलों को छू सके और उन्हें जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित कर सके।

1. नायक का मानवीय चित्रण: मैंने कहानी के नायक को एक ऐसा व्यक्ति दिखाने की कोशिश की, जो परिपूर्ण नहीं है।वह अपनी कमजोरियों, संघर्षों और गलतियों के साथ एक साधारण व्यक्ति है, लेकिन अपने साहस और दृढ़ता से वह असाधारण बनता है। यह युवा पाठकों को यह सिखाता है कि असली नायक वही होता है, जो अपनी कमजोरियों को ताकत में बदलता है।
2. कठिन परिस्थितियों में निर्णय: कहानी में ऐसे क्षण जोड़े गए हैं, जहां नायक को कठिन परिस्थितियों में सही और गलत के बीच चयन करना पड़ता है। मैंने यह दिखाने की कोशिश की है कि सही निर्णय हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन अपने मूल्यों और नैतिकता पर खड़े रहना ही सच्चा साहस है।
3. युवाओं से जुड़ी भाषा और संदर्भ: कहानी की भाषा और भावनाएं इस तरह से रखी गईं, जो युवाओं के लिए प्रासंगिक और समझने में आसान हों। साथ ही, मैंने साहस, बलिदान और संघर्ष जैसे विषयों को उनके जीवन से जोड़ने की कोशिश की, ताकि वे इसे अपने अनुभवों से संबंधित कर सकें।
4. प्रेरणादायक संदेश: कहानी में यह संदेश बार-बार उभरता है कि असंभव कुछ भी नहीं है। मैंने यह दिखाने की कोशिश की है कि साहस का मतलब केवल बाहरी लड़ाई लड़ना नहीं है, बल्कि अपने डर, असुरक्षा और असफलताओं का सामना करना भी है।
5. रोल मॉडल के रूप में किरदार: नायक और अन्य प्रमुख पात्रों को ऐसे रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो युवाओं के लिए प्रेरणादायक बन सकें। उनके साहस, संघर्ष और उपलब्धियां युवाओं को अपने जीवन में भी इसी तरह से चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करती हैं।

इन रणनीतियों के माध्यम से मैंने यह सुनिश्चित किया कि कहानी न केवल पढ़ने में रोमांचक हो, बल्कि यह युवाओं के भीतर साहस, आत्मविश्वास और नैतिकता को बढ़ावा देने का माध्यम भी बने। मेरा उद्देश्य था कि यह कहानी पढ़ने के बाद वे अपने जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित हों।"फ्रंटलिस्ट: देवभूमि उत्तराखंड और प्रकृति के साथ आपके गहरे लगाव ने कहानी के निर्माण में कैसे योगदान दिया? क्या बोरा के पात्रों या परिदृश्यों में इसका असर दिखाई देता है?

नवीन: "देवभूमि उत्तराखंड और प्रकृति के प्रति मेरे गहरे लगाव ने मेरी कहानी के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रकृति की विशालता, शांतता और आध्यात्मिकता, जो उत्तराखंड में हर जगह महसूस की जा सकती है, ने न केवल कहानी के परिदृश्यों को आकार दिया, बल्कि पात्रों की गहराई और उनकी भावनात्मक यात्रा को भी प्रभावित किया।

1. परिदृश्य और माहौल: कहानी में जिन स्थानों का वर्णन किया गया है, उनमें उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। ऊंचे पहाड़, घने जंगल, गहरी घाटियां और कलकल बहती नदियां कहानी के परिदृश्य में जीवंत रूप से उभरती हैं। ये स्थान न केवल कहानी के रोमांच को बढ़ाते हैं, बल्कि पाठकों को प्रकृति की शक्ति और शांति का अनुभव भी कराते हैं।
2. पात्रों का प्रकृति से जुड़ाव: नायक 'बोरा' और अन्य पात्रों में प्रकृति के प्रति गहरा सम्मान और लगाव दिखाया गया है। यह उनके व्यक्तित्व और उनके निर्णयों में झलकता है। बोरा की यात्रा में प्राकृतिक तत्व एक मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत की भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, जब वह कठिन परिस्थितियों का सामना करता है, तो प्रकृति की विशालता और उसकी शांत शक्ति उसे धैर्य और साहस प्रदान करती है।
3. आध्यात्मिकता और प्रकृति का समावेश: उत्तराखंड की आध्यात्मिक ऊर्जा ने कहानी के नैतिक और दार्शनिक तत्वों को आकार दिया। कहानी में यह संदेश बार-बार उभरता है कि मनुष्य और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। बोरा और अन्य पात्रों के संघर्ष और उनके समाधानों में यह दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से झलकता है।4. संघर्ष और प्रकृति की भूमिका: कहानी में प्रकृति न केवल एक पृष्ठभूमि है, बल्कि यह एक जीवंत शक्ति के रूप में काम करती है। कभी यह नायक को चुनौती देती है, तो कभी उसे मार्ग दिखाती है। उत्तराखंड की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं से प्रेरित संघर्ष के दृश्य कहानी को और अधिक प्रामाणिक बनाते हैं।
5. संरक्षण का संदेश: उत्तराखंड की नाजुक पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय चुनौतियों ने कहानी के नैतिक पहलुओं को प्रभावित किया। कहानी के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि प्रकृति का सम्मान और संरक्षण करना न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि यह हमारे अस्तित्व का आधार भी है।

इस प्रकार, देवभूमि उत्तराखंड और प्रकृति के प्रति मेरे लगाव ने कहानी को एक गहरी संवेदनशीलता और आध्यात्मिकता प्रदान की है। यह न केवल परिदृश्यों और पात्रों में झलकता है, बल्कि कहानी के मूल संदेश में भी देखा जा सकता है।"

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