<![CDATA[ युवा शायरा प्रिया मलिक का पहला कविता संग्रह : ‘इश्क़ के सात पड़ाव’ फ़रवरी 2023 में प्रकाश्य। ]]> • प्रिया मलिक का पहला कविता संग्रह  ‘इश्क़ के सात पड़ाव’ वाणी प्रकाशन ग्रुप के युवा वाणी द्वारा शीघ्र प्रकाश्य। 
 

• 'युवा वाणी' 35 सालों से सँयोजी जा रही वाणी प्रकाशन ग्रुप की उत्कृष्ट पद्धति है जिसमें हिन्दी के समकालीन युवा हस्ताक्षरों को प्रकाशित किया जाता है। “माईक से किताब” आंदोलन की इस यात्रा में प्रिया मलिक का स्वागत।

वाणी प्रकाशन ग्रुप के उपक्रम ‘युवा वाणी’ से अभिनेता व युवा लेखिका प्रिया मलिक का पहला कविता संग्रह 'इश्क़ के सात पड़ाव’ जल्द प्रकाशित होने जा रहा है। 2019 में 1999 ढूँढ़ते हुए, प्यार और इश्क़ का फ़र्क़ समझाते हुए, प्रिया की कविता आधुनिक लेखनी के युग में एक नयी लहर लेकर आयी हैं।

देहरादून में जन्मी प्रिया मलिक बचपन से साहित्य और स्टेज से जुड़ी हुई हैं, अंग्रेज़ी साहित्य की यह भारतीय शिक्षिका, दस साल बाद ऑस्ट्रेलिया को हमेशा के लिए छोड़ कर, भारत वापस आयीं और 2017 में उन्होंने अपनी कविताएँ स्टेज पर प्रस्तुत करना शुरू कर दिया। यूट्यूब के जरिये उनकी कविताएँ जल्द ही हिन्दी काव्य क्षेत्र में प्रसिद्ध हो गयीं और कई टीवी चैनल्स एवं साहित्य समारोह में यह आमन्त्रित होने लगीं। जश्न-ए-रेख़्ता और साहित्य आज तक जैसे कार्यक्रमों में प्रिया ने सभी को प्यार नहीं, इश्क़के जज़्बे से लुभाया और युवा पीढ़ी के लेखकों के लिए प्रेरणा बन गयीं।

प्रिया की कविताएँ हिन्दी, अंग्रेज़ी और उर्दू का वो ख़ूबसूरत मिश्रण हैं जो युवा पीढ़ी का रुझान वापस कविताओं की तरफ़ लेकर आने में सफल हुआ है। पिछले कुछ सालों में उन्होंने राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर टीवी एवं फ़िल्मों में काम किया है और कई नामचीन ब्रांड्स के लिए कविताएँ भी लिखी है। यह प्रिया मलिक की पहली किताब है, लेकिन यह तो बस एक शुरुआत है, क्योंकि इश्क़ के सात पड़ाव है, इश्क़ के सात पड़ाव है। प्रिया मलिक का पहला कविता संग्रह युवा पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत साबित होगा।

'युवा वाणी' 35 सालों से सँयोजी जा रही वाणी प्रकाशन ग्रुप की उत्कृष्ट पद्धति है जिसमें हिन्दी के समकालीन युवा हस्ताक्षरों को प्रकाशित किया जाता है। '80 के दशक में अरुण कमल, '90 में उदय प्रकाश, अनामिका, 2000 में प्रभात रंजन, गीताश्री इत्यादि युवा वाणी के ब्रांड अम्बेसडर रहे हैं। नयी सदी के दूसरे दशक में हिन्दी एक वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित हो चुकी है। युवा लेखक, इतिहासकार, आलोचक, ग्राफ़िक नॉवेलिस्ट, कवि, शायर और गीतकार जिनकी लेखनी लोकल यानी आंचलिक तत्त्वों से भरपूर है और साथ ही ग्लोबल मुद्दों को अपनी ज़मीन से जोड़ती है -युवा वाणी के तहत प्रकाशित किये जा रहे हैं।

21वीं सदी में हिन्दी कविता ने सोशल मीडिया पर अपना परचम चमकाया है। युवा पाठकों को युवा रचनाकार बनाने का एक सुनहरा मौक़ा सोशल मीडिया द्वारा तैयार किया गया है। इस यात्रा में पहली बार हो रहा है कि ‘माइक से किताब’ को आन्दोलन का रूप देकर नायाब पुस्तकें प्रकाशित की जा रही हैं। इसी श्रृंखला में पहले दीपक रमोला का काव्य संकलन ‘इतना तो मैं समझ गया हूँ’ प्रकाशित किया जा चुका है जिसके दो संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। अब प्रिया मलिक की पुस्तक युवा पाठकों तक पहुँचनेके लिये तैयार है। इश्क़ के महीने फ़रवरी 2023 में पुस्तक प्रकाशित होगी।
 

वाणी प्रकाशन ग्रुप के बारे में
 

वाणी प्रकाशन ग्रुप पिछले 59 वर्षों से साहित्य की 32 से भी अधिक नवीनतम विधाओं में, बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। वाणी प्रकाशन ग्रुप ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। तथा देश के 3,00,000 से भी अधिक गाँव, 2,800 क़स्बे, 54 मुख्य नगर और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। अब वाणी प्रकाशन ग्रुप वाणी डिजिटल, वाणी बिज़नेस, वाणी बुक कम्पनी, वाणी पृथ्वी, नाइन बुक्स, वाणी प्रतियोगिता, युवा वाणी और गैर-लाभकारी संस्था वाणी फ़ाउण्डेशन के साथ प्रकाशन उद्योग में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
 

वाणी प्रकाशन ग्रुप भारत के प्रमुख पुस्तकालयों, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य पूर्व, से भी जुड़ा हुआ है। वाणी प्रकाशन ग्रुप की सूची में, साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत 25 पुस्तकें और लेखक, हिन्दी में अनूदित 9 नोबेल पुरस्कार विजेता और 24 अन्य प्रमुख पुरस्कृत लेखक और पुस्तकें शामिल हैं। वाणी प्रकाशन ग्रुप को क्रमानुसार नेशनल लाइब्रेरी, स्वीडन, रशियन सेंटर ऑफ़ आर्ट एण्ड कल्चर तथा पोलिश सरकार द्वारा इंडो-पोलिश लिटरेरी के साथ सांस्कृतिक सम्बन्ध विकसित करने का गौरव प्राप्त है। वाणी प्रकाशन ग्रुप ने 2008 में ‘Federation of Indian Publishers Associations’ द्वारा प्रतिष्ठित ‘Distinguished Publisher Award’ भी प्राप्त किया है। सन् 2013 से 2017 तक केन्द्रीय साहित्य अकादेमी के 68 वर्षों के इतिहास में पहली बार श्री अरुण माहेश्वरी केन्द्रीय परिषद् की जनरल काउंसिल में देशभर के प्रकाशकों के प्रतिनिधि के रूप में चयनित किये गये।
 

लन्दन में भारतीय उच्चायुक्त द्वारा 25 मार्च 2017 को ‘वातायन सम्मान’ तथा 28 मार्च 2017 को वाणी प्रकाशन ग्रुप के प्रबन्ध निदेशक व वाणी फ़ाउण्डेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को ऑक्सफोर्ड बिज़नेस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में ‘एक्सीलेंस इन बिज़नेस’ सम्मान से नवाज़ा गया। प्रकाशन की दुनिया में पहली बार हिन्दी प्रकाशन को इन दो पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हिन्दी प्रकाशन के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है।
 

3 मई 2017 को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘64वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह’ में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा ‘स्वर्ण-कमल-2016’ पुरस्कार प्रकाशक वाणी प्रकाशन ग्रुप को प्रदान किया गया। भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ग्रुप ने राजधानी के प्रमुख पुस्तक केन्द्र ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर के साथ सहयोग कर ‘लेखक से मिलिये’ के अन्तर्गत कई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम-शृंखला का आयोजन किया और वर्ष 2014 से ‘हिन्दी महोत्सव’ का आयोजन सम्पन्न करता आ रहा है।
 

वर्ष 2017 में वाणी फ़ाउण्डेशन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित इन्द्रप्रस्थ कॉलेज के साथ मिलकर हिन्दी महोत्सव का आयोजन किया व वर्ष 2018 में वाणी फ़ाउण्डेशन, यू.के. हिन्दी समिति, वातायन और कृति यू. के. के सान्निध्य में हिन्दी महोत्सव ऑक्सफोर्ड, लन्दन और बर्मिंघम में आयोजित किया गया ।

‘किताबों की दुनिया’ में बदलती हुई पाठक वर्ग की भूमिका और दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ग्रुप ने अपनी 51वीं वर्षगाँठ पर गैर-लाभकारी उपक्रम वाणी फ़ाउण्डेशन की स्थापना की। फ़ाउण्डेशन की स्थापना के मूल प्रेरणास्त्रोत सुहृदय साहित्यानुरागी और अध्यापक स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र ‘महेश’ हैं। स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र ‘महेश’ ने वर्ष 1960 में वाणी प्रकाशन ग्रुप की स्थापना की। वाणी फ़ाउण्डेशन का लोगो विख्यात चित्रकार सैयद हैदर रज़ा द्वारा बनाया गया है। मशहूर शायर और फ़िल्मकार गुलज़ार वाणी फ़ाउण्डेशन के प्रेरणास्त्रोत हैं।
 

वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय और विदेशी भाषा साहित्य के बीच व्यावहारिक आदान-प्रदान के लिए एक अभिनव मंच के रूप में सेवा करता है। साथ ही वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय कला, साहित्य तथा बाल-साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय शोधवृत्तियाँ प्रदान करता है। वाणी फ़ाउण्डेशन का एक प्रमुख दायित्व है दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी बड़ी भाषा हिन्दी को यूनेस्को भाषा सूची में शामिल कराने के लिए विश्वस्तरीय प्रयास करना।
 

वाणी फ़ाउण्डेशन की ओर से विशिष्ट अनुवादक पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार भारतवर्ष के उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरन्तर और कम-से-कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बन्ध विकसित करने की दिशा में गुणात्मक योगदान दिया है। इस पुरस्कार की आवश्यकता इसलिए विशेष रूप से महसूस की जा रही थी क्योंकि वर्तमान स्थिति में दो भाषाओं के मध्य आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले की स्थिति बहुत हाशिए पर है। इसका उद्देश्य एक ओर अनुवादकों को भारत के इतिहास के मध्य भाषिक और साहित्यिक सम्बन्धों के आदान-प्रदान की पहचान के लिए प्रेरित करना है, दूसरी ओर, भारत की सशक्त परम्परा को वर्तमान और भविष्य के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित करना है।
 

वाणी फ़ाउण्डेशन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है भारतीय भाषाओं से हिन्दी व अंग्रेजी में श्रेष्ठ अनुवाद का कार्यक्रम। इसके साथ ही इस न्यास के द्वारा प्रतिवर्ष डिस्टिंगविश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड भी प्रदान किया जाता है जिसमें मानद पत्र और एक लाख रुपये की राशि अर्पित की जाती हैं। वर्ष 2018 के लिए यह सम्मान प्रतिष्ठित अनुवादक, लेखक, पर्यावरण संरक्षक तेजी ग्रोवर को दिया गया था।

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en Fri, 11 25, 2022 12:03 pm <![CDATA[ युवा शायरा प्रिया मलिक का पहला कविता संग्रह : ‘इश्क़ के सात पड़ाव’ फ़रवरी 2023 में प्रकाश्य। ]]> • प्रिया मलिक का पहला कविता संग्रह  ‘इश्क़ के सात पड़ाव’ वाणी प्रकाशन ग्रुप के युवा वाणी द्वारा शीघ्र प्रकाश्य। 
 

• 'युवा वाणी' 35 सालों से सँयोजी जा रही वाणी प्रकाशन ग्रुप की उत्कृष्ट पद्धति है जिसमें हिन्दी के समकालीन युवा हस्ताक्षरों को प्रकाशित किया जाता है। “माईक से किताब” आंदोलन की इस यात्रा में प्रिया मलिक का स्वागत।

वाणी प्रकाशन ग्रुप के उपक्रम ‘युवा वाणी’ से अभिनेता व युवा लेखिका प्रिया मलिक का पहला कविता संग्रह 'इश्क़ के सात पड़ाव’ जल्द प्रकाशित होने जा रहा है। 2019 में 1999 ढूँढ़ते हुए, प्यार और इश्क़ का फ़र्क़ समझाते हुए, प्रिया की कविता आधुनिक लेखनी के युग में एक नयी लहर लेकर आयी हैं।

देहरादून में जन्मी प्रिया मलिक बचपन से साहित्य और स्टेज से जुड़ी हुई हैं, अंग्रेज़ी साहित्य की यह भारतीय शिक्षिका, दस साल बाद ऑस्ट्रेलिया को हमेशा के लिए छोड़ कर, भारत वापस आयीं और 2017 में उन्होंने अपनी कविताएँ स्टेज पर प्रस्तुत करना शुरू कर दिया। यूट्यूब के जरिये उनकी कविताएँ जल्द ही हिन्दी काव्य क्षेत्र में प्रसिद्ध हो गयीं और कई टीवी चैनल्स एवं साहित्य समारोह में यह आमन्त्रित होने लगीं। जश्न-ए-रेख़्ता और साहित्य आज तक जैसे कार्यक्रमों में प्रिया ने सभी को प्यार नहीं, इश्क़के जज़्बे से लुभाया और युवा पीढ़ी के लेखकों के लिए प्रेरणा बन गयीं।

प्रिया की कविताएँ हिन्दी, अंग्रेज़ी और उर्दू का वो ख़ूबसूरत मिश्रण हैं जो युवा पीढ़ी का रुझान वापस कविताओं की तरफ़ लेकर आने में सफल हुआ है। पिछले कुछ सालों में उन्होंने राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर टीवी एवं फ़िल्मों में काम किया है और कई नामचीन ब्रांड्स के लिए कविताएँ भी लिखी है। यह प्रिया मलिक की पहली किताब है, लेकिन यह तो बस एक शुरुआत है, क्योंकि इश्क़ के सात पड़ाव है, इश्क़ के सात पड़ाव है। प्रिया मलिक का पहला कविता संग्रह युवा पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत साबित होगा।

'युवा वाणी' 35 सालों से सँयोजी जा रही वाणी प्रकाशन ग्रुप की उत्कृष्ट पद्धति है जिसमें हिन्दी के समकालीन युवा हस्ताक्षरों को प्रकाशित किया जाता है। '80 के दशक में अरुण कमल, '90 में उदय प्रकाश, अनामिका, 2000 में प्रभात रंजन, गीताश्री इत्यादि युवा वाणी के ब्रांड अम्बेसडर रहे हैं। नयी सदी के दूसरे दशक में हिन्दी एक वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित हो चुकी है। युवा लेखक, इतिहासकार, आलोचक, ग्राफ़िक नॉवेलिस्ट, कवि, शायर और गीतकार जिनकी लेखनी लोकल यानी आंचलिक तत्त्वों से भरपूर है और साथ ही ग्लोबल मुद्दों को अपनी ज़मीन से जोड़ती है -युवा वाणी के तहत प्रकाशित किये जा रहे हैं।

21वीं सदी में हिन्दी कविता ने सोशल मीडिया पर अपना परचम चमकाया है। युवा पाठकों को युवा रचनाकार बनाने का एक सुनहरा मौक़ा सोशल मीडिया द्वारा तैयार किया गया है। इस यात्रा में पहली बार हो रहा है कि ‘माइक से किताब’ को आन्दोलन का रूप देकर नायाब पुस्तकें प्रकाशित की जा रही हैं। इसी श्रृंखला में पहले दीपक रमोला का काव्य संकलन ‘इतना तो मैं समझ गया हूँ’ प्रकाशित किया जा चुका है जिसके दो संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। अब प्रिया मलिक की पुस्तक युवा पाठकों तक पहुँचनेके लिये तैयार है। इश्क़ के महीने फ़रवरी 2023 में पुस्तक प्रकाशित होगी।
 

वाणी प्रकाशन ग्रुप के बारे में
 

वाणी प्रकाशन ग्रुप पिछले 59 वर्षों से साहित्य की 32 से भी अधिक नवीनतम विधाओं में, बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। वाणी प्रकाशन ग्रुप ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। तथा देश के 3,00,000 से भी अधिक गाँव, 2,800 क़स्बे, 54 मुख्य नगर और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। अब वाणी प्रकाशन ग्रुप वाणी डिजिटल, वाणी बिज़नेस, वाणी बुक कम्पनी, वाणी पृथ्वी, नाइन बुक्स, वाणी प्रतियोगिता, युवा वाणी और गैर-लाभकारी संस्था वाणी फ़ाउण्डेशन के साथ प्रकाशन उद्योग में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
 

वाणी प्रकाशन ग्रुप भारत के प्रमुख पुस्तकालयों, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य पूर्व, से भी जुड़ा हुआ है। वाणी प्रकाशन ग्रुप की सूची में, साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत 25 पुस्तकें और लेखक, हिन्दी में अनूदित 9 नोबेल पुरस्कार विजेता और 24 अन्य प्रमुख पुरस्कृत लेखक और पुस्तकें शामिल हैं। वाणी प्रकाशन ग्रुप को क्रमानुसार नेशनल लाइब्रेरी, स्वीडन, रशियन सेंटर ऑफ़ आर्ट एण्ड कल्चर तथा पोलिश सरकार द्वारा इंडो-पोलिश लिटरेरी के साथ सांस्कृतिक सम्बन्ध विकसित करने का गौरव प्राप्त है। वाणी प्रकाशन ग्रुप ने 2008 में ‘Federation of Indian Publishers Associations’ द्वारा प्रतिष्ठित ‘Distinguished Publisher Award’ भी प्राप्त किया है। सन् 2013 से 2017 तक केन्द्रीय साहित्य अकादेमी के 68 वर्षों के इतिहास में पहली बार श्री अरुण माहेश्वरी केन्द्रीय परिषद् की जनरल काउंसिल में देशभर के प्रकाशकों के प्रतिनिधि के रूप में चयनित किये गये।
 

लन्दन में भारतीय उच्चायुक्त द्वारा 25 मार्च 2017 को ‘वातायन सम्मान’ तथा 28 मार्च 2017 को वाणी प्रकाशन ग्रुप के प्रबन्ध निदेशक व वाणी फ़ाउण्डेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को ऑक्सफोर्ड बिज़नेस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में ‘एक्सीलेंस इन बिज़नेस’ सम्मान से नवाज़ा गया। प्रकाशन की दुनिया में पहली बार हिन्दी प्रकाशन को इन दो पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हिन्दी प्रकाशन के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है।
 

3 मई 2017 को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘64वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह’ में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा ‘स्वर्ण-कमल-2016’ पुरस्कार प्रकाशक वाणी प्रकाशन ग्रुप को प्रदान किया गया। भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ग्रुप ने राजधानी के प्रमुख पुस्तक केन्द्र ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर के साथ सहयोग कर ‘लेखक से मिलिये’ के अन्तर्गत कई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम-शृंखला का आयोजन किया और वर्ष 2014 से ‘हिन्दी महोत्सव’ का आयोजन सम्पन्न करता आ रहा है।
 

वर्ष 2017 में वाणी फ़ाउण्डेशन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित इन्द्रप्रस्थ कॉलेज के साथ मिलकर हिन्दी महोत्सव का आयोजन किया व वर्ष 2018 में वाणी फ़ाउण्डेशन, यू.के. हिन्दी समिति, वातायन और कृति यू. के. के सान्निध्य में हिन्दी महोत्सव ऑक्सफोर्ड, लन्दन और बर्मिंघम में आयोजित किया गया ।

‘किताबों की दुनिया’ में बदलती हुई पाठक वर्ग की भूमिका और दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ग्रुप ने अपनी 51वीं वर्षगाँठ पर गैर-लाभकारी उपक्रम वाणी फ़ाउण्डेशन की स्थापना की। फ़ाउण्डेशन की स्थापना के मूल प्रेरणास्त्रोत सुहृदय साहित्यानुरागी और अध्यापक स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र ‘महेश’ हैं। स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र ‘महेश’ ने वर्ष 1960 में वाणी प्रकाशन ग्रुप की स्थापना की। वाणी फ़ाउण्डेशन का लोगो विख्यात चित्रकार सैयद हैदर रज़ा द्वारा बनाया गया है। मशहूर शायर और फ़िल्मकार गुलज़ार वाणी फ़ाउण्डेशन के प्रेरणास्त्रोत हैं।
 

वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय और विदेशी भाषा साहित्य के बीच व्यावहारिक आदान-प्रदान के लिए एक अभिनव मंच के रूप में सेवा करता है। साथ ही वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय कला, साहित्य तथा बाल-साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय शोधवृत्तियाँ प्रदान करता है। वाणी फ़ाउण्डेशन का एक प्रमुख दायित्व है दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी बड़ी भाषा हिन्दी को यूनेस्को भाषा सूची में शामिल कराने के लिए विश्वस्तरीय प्रयास करना।
 

वाणी फ़ाउण्डेशन की ओर से विशिष्ट अनुवादक पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार भारतवर्ष के उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरन्तर और कम-से-कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बन्ध विकसित करने की दिशा में गुणात्मक योगदान दिया है। इस पुरस्कार की आवश्यकता इसलिए विशेष रूप से महसूस की जा रही थी क्योंकि वर्तमान स्थिति में दो भाषाओं के मध्य आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले की स्थिति बहुत हाशिए पर है। इसका उद्देश्य एक ओर अनुवादकों को भारत के इतिहास के मध्य भाषिक और साहित्यिक सम्बन्धों के आदान-प्रदान की पहचान के लिए प्रेरित करना है, दूसरी ओर, भारत की सशक्त परम्परा को वर्तमान और भविष्य के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित करना है।
 

वाणी फ़ाउण्डेशन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है भारतीय भाषाओं से हिन्दी व अंग्रेजी में श्रेष्ठ अनुवाद का कार्यक्रम। इसके साथ ही इस न्यास के द्वारा प्रतिवर्ष डिस्टिंगविश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड भी प्रदान किया जाता है जिसमें मानद पत्र और एक लाख रुपये की राशि अर्पित की जाती हैं। वर्ष 2018 के लिए यह सम्मान प्रतिष्ठित अनुवादक, लेखक, पर्यावरण संरक्षक तेजी ग्रोवर को दिया गया था।

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